रचना चोरों की शामत

मेरे बारे में

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कल्पना रामानी

Sunday 16 July 2017

चर्चित होंगे नाम विश्व में


जो बतियाते सिर्फ कलम से, अँधियारों में। 
वो कब छपते खबरों में या, अखबारों में।

नमन उन्हें जो, धर आते भर नेह उजाला
चुपके से इक दीप, तिमिर के ओसारों में।

राह दिखाते कोहरे-बरखा में जुगनू भी  
आब न होती जब नभ के चंदा तारों में।
     
छल-बल देर-सबेर विजित होंगे निर्बल से
लिप्त रहा करते जो कुत्सित व्यापारों में।

सधा हुआ ही राग बंधु! गाया जाएगा
सत्य-मंच पर गीतों में या अशयारों में।

चर्चित होंगे नाम विश्व में वे भी कल्पना
जो रचते इतिहास घरों की दीवारों में।

- कल्पना रामानी

2 comments:

Onkar said...

सुन्दर रचना

Alokita Gupta said...

कल्पना जी पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर... आपकी रचना से यह पहला परिचय काफ़ी मनमोहक रहा
आशा करती हूँ आगे भी आपके ब्लॉग पर आकर कुछ अच्छा पढने को मिलेगा

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